हिंदू धर्मावलंबियों के पवित्र मास चैत्र में कई महत्वपूर्ण पर्व-त्योहार मनाए जाएंगे। इसी कड़ी में वासंतिक नवरात्रा नौ अप्रैल से शुरू होंगे। मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने इस दिन ही सृष्टि का निर्माण किया था। इस नवरात्र में ग्रह-गोचरों के कई पुण्यकारी संयोग भी बन रहे हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए उत्तम सिद्ध होंगे। ज्योतिर्विद पंडित हरिनारायण व्यास मन्नासा के अनुसार 9 अप्रैल को रेवती नक्षत्र और अश्विनी नक्षत्र के युग्म संयोग और अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि और कुमार योग बनने का अनूठा संयोग बनेगा, जिससे इन
नवरात्रों में की गई आराधना विशेष फलदायी साबित होगी। मंदिरों के साथ घरों में भी वेद मंत्र, घंटी, शंख, आरती, स्तुति होगी। इस बार नवरात्र के प्रथम दिन दोपहर 2:18 बजे तक वैधृति योग होने के कारण प्रातः काल में घट स्थापना नहीं हो पाएगी। इस बीच अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:13 बजे से 01:04 बजे तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं। घटस्थापना के साथ ही माता दुर्गा के पाठ प्रारंभ हो जाएंगे। मान्यतानुसार अखंड ज्योत जलाकर भी मातेश्वरी की आराधना की जा सकती है। इस दौरान रामचरित मानस के पाठ करने का भी चलन है। वहीं 11, 12 व 13 अप्रैल को रवियोग, अमृतयोग, रहेगा। 15 व 16 को रात में सर्वार्थ सिद्धि योग, 17 अप्रैल को रवियोग व रामनवमी का अबूझ मुहूर्त भी रहेगा। नवरात्र प्रारंभ होने के साथ ही प्रतिपदा तिथि से नया हिंदू वर्ष प्रारंभ हो जाएगा।
चैत्र नवरात्रि की तिथियां
09 अप्रैल मां शैलपुत्री पूजा व घटस्थापना
10 अप्रैल नवरात्र द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 11 अप्रैल नवरात्र तृतीया मां चंद्रघंटा की पूजा 12 अप्रैल नवरात्र चतुर्थी मां कुष्मांडा की पूजा 13 अप्रैल नवरात्र पंचम मां स्कंदमाता की पूजा 14 अप्रैल नवरात्र षष्ठी मां कात्यायनी की पूजा 15 अप्रैल नवरात्र सप्तमी मां कालरात्रि की पूजा 16 अप्रैल नवरात्र अष्टमी मां महागौरी की पूजा 17 अप्रैल नवरात्र नवमी मां सिद्धिदात्री की पूजा
इस साल चैत्र नवरात्र मंगलवार से शुरू होने के कारण माता अश्व पर सवारी करके आएगी और नवरात्र समापन के दिन बुधवार होने से हाथी पर सवार होगी।
शासकों में हठधर्मिता, पर्याप्त बरसात और अच्छी फसल होने के संकेत
मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्र के समय वार के अनुसार माता अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं। इस बार माता रानी अश्व पर सवार होकर आने से शास्त्रों के अनुसार शासकों में हठधर्मिता का प्रभाव रहेगा। वहीं हाथी पर प्रस्थान करने को अच्छी बरसात के साथ अच्छी फैसल की पैदावार होने के संकेत माने जाते हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। इस साल चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को देर रात 11:51 बजे से शुरू होगी। ये तिथि अगले दिन यानी 9 अप्रैल को रात 8:31 बजे तक रहेंगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य है, इसलिए 9 अप्रैल को ही प्रथम नवरात्र पर घटस्थापना की जाएगी। नवसंवत्सर का प्रारंभ भी इसी दिन से होगा।