सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक की अब तीसरी मंजिल की छत की फाल्स सीलिंग गिर गई है। इससे मरीजों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। पीडब्ल्यूडी ने बिल्डिंग में मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट माना है। कॉलेज ने विस्तृत जांच के लिए आईआईटी रुड़की से भी टीम बुलाई है।
एसएसबी की तीसरी मंजिल पर पीडियाट्रिक सर्जरी का 42 बेड का वार्ड है। रविवार को वार्ड की छत की फाल्स सीलिंग गिर पड़ी। उस वक्त बेड पर लेटे एक बच्चे के नर्सिंग स्टाफ इंजेक्शन लगा रहा था। राहत की बात यह रही कि पंखे से टकराकर फाल्स सीलिंग की प्लेट के टुकड़े हो गए, जिससे वह बेड पर नहीं गिरी। वर्ना मरीज और नर्सिंग कर्मी दोनों जख्मी हो जाते। उस दिन वार्ड में करीब 35 बच्चे भर्ती थे। इन सभी को चौथी मंजिल पर बने आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। इस घटना के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को बुलाकर जांच कराई। पीडब्ल्यूडी के एईएन और जेईएन की टीम ने निरीक्षण के बाद फाल्स सीलिंग गिरने का कारण प्रथम दृष्टया मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट माना है। इंजीनियरों का कहना है कि आरसीसी की छत की ग्रेडिंग सही नहीं की गई है। सरियों के नीचे 20 एमएम का कवर भी नजर नहीं आ रहा है। सरिए फूले हुए हैं। अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बिल्डिंग निर्माण की विस्तृत जांच करने के लिए आईआईटी रुड़की की टीम बुलाई है। हालांकि बिल्डिंग का निर्माण करने वाली कंपनी के इंजीनियर भी बुधवार को मौके पर पहुंचे।
लापरवाही
1. एसएसबी के निर्माण • में गंभीर लापरवाही बरती गई। उसकी सीवर लाइन के बेंड आरसीसी की छतों में फाल्स सीलिंग के अंदर ही जोड़ दिए, जबकि बाहर रखने चाहिए
थे।
2 बिल्डिंग बाद बनने के कोरोना रोगियों को रखा गया। उन्होंने सभी टायलेट जाम कर दिए। सीवर लाइन में खाली बोतल, पैड आदि सामग्री डाल दी, जिससे पानी छतों में रिस रहा है।
2019 में 150 करोड़ से बनी थी बिल्डिंग सुपर स्पेशियलिटी का निर्माण 2019 में पूरा हुआ था। उसके बाद यहां गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, गेस्ट्रो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, पीडियाट्रिक सर्जरी, नेफ्रोलॉजी के आउटडोर शुरू किए गए। कुल 230 बेड के इस हॉस्पिटल में 30 बेड का आईसीयू है। बच्चों के लिए 10 बेड का आईसीयू अलग से है। बिल्डिंग की पांचवीं मंजिल पर पांच ऑपरेशन थिएटर हैं। वर्तमान में सभी काम आ रहे हैं। बिल्डिंग के लिए केंद्र सरकार ने पीएमएसएसवाई प्रोजेक्ट के तहत 150 करोड़ रुपए दिए थे।
समाधान
2. अच्छे संस्थान से • इंजीनियर बुलाकर पूरी बिल्डिंग की टेक्निकल जांच होनी चाहिए। जहां, कमियां हैं उन्हें दुरुस्त कराना चाहिए। क्योंकि यह सैकड़ों मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा का मामला है। (भास्कर एक्सपर्ट : नरेश जोशी, रिटायर्ड एवसईएन)
1 पूरी छत को बदलना अब संभव नहीं है। जहां पर सीवर लाइन के पाइप चोक हैं और लीक हो रहे हैं। उसके जॉइंट फाल्स सीलिंग से बाहर निकालने होंगे। निकालकर उन्हें नए सिरे से लगाना होगा।
पांचवीं मंजिल सुरक्षित नहीं, 5 महीने से बंद
एसएसबी की पांचवीं मंजिल को अनसेफ बताकर बंद कर दिया गया है। इस मंजिल में पांच महीने से काम चल रहा है। दरअसल अक्टूबर 23 में पांचवीं मंजिल पर पीडियाट्रिक एचओडी डॉ. गिरीश प्रभाकर के चैंबर और आईसीयू की फाल्स सीलिंग गिर पड़ी थी। जांच के बाद सामने आया कि छत पर पानी भरा रहने और सीवरेज में लीकेज के कारण आरसीसी की छत के सरिए फूल गए और सीमेंट झड़ने लगी। निर्माण करने वाली कंपनी पांचवीं मंजिल की मरम्मत करवा रही है। इसके चलते एक हिस्सा अनसेफ घोषित कर बंद कर दिया गया है।
• बिल्डिंग में फाल्स सीलिंग गिरने की जांच के लिए रुड़की से इंजीनियर बुलाए गए हैं। कंपनी के इंजीनियर भी देख रहे हैं। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी से भी जांच कराई जा रही है। रिपेयरिंग का काम जल्दी शुरू करवा दिया जाएगा। फिलहाल वार्ड खाली करवा दिया है।