इन दिनों वायरल बुखार, उल्टी-दस्त और
पीलिया से पीड़ित होकर बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं। बच्चा अस्पताल के आउटडोर में रोज औसत 500 बच्चे बीमार होकर आ रहे हैं। इनमें से 50 को भर्ती करना पड़ रहा है। 160 बेड के इस अस्पताल में अब बेड कम पड़ने लगे हैं। गर्मी तेज पड़ने पर अगले महीने से लू और तापघात से पीड़ित बच्चे भी बड़ी संख्या में आएंगे। उसे देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने संसाधन जुटाने शुरू कर दिए हैं। बच्चा अस्पताल इन दिनों मरीजों से भरा पड़ा है। वाडों में एक बेड पर दो-दो बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है। अधिकांश बच्चे वायरल बुखार और पीलिया से पीड़ित बताए गए हैं। अस्पताल में पीडिया मेडिसिन के 160 जनरल बेड हैं। इनके अलावा 30 बेड का आईसीयू है। सभी फुल हैं। बंद पड़ी सर्जरी विंग के वार्ड में 40 बेड हैं, जिन्हें काम लिया जा सकता है, लेकिन उस वार्ड की मरम्मत ही अब तक नहीं हो सकी है। सर्जरी विंग के कमरों की मरम्मत का काम एक महीने से
बंद पड़ा है। इस विंग में चार कक्ष तैयार किए
जा रहे हैं। गर्मी में लू और तापघात से पीड़ित
बच्चों की संख्या बढ़ेगी। ऐसे में बच्चों को इस वार्ड में भर्ती किया जा सकेगा। अस्पताल प्रशासन ने ठेकेदार को काम जल्द पूरा करने के लिए पाबंद किया है।
बच्चा अस्पताल में चार यूनिट हैं। हर यूनिट के हिस्से में करीब 40 बेड हैं। सर्जरी विंग एसएसबी में शिफ्ट होने के बाद उसके कमरे बंद पड़े थे। इस विंग में 40 बेड हैं, जो किसी काम नहीं आ रहे हैं। मेडिसिन विंग को 160 बेड से ही काम चलाना पड़ रहा है। सर्जरी विंग के कमरों की मरम्मत होने के बाद वहां भी बीमार बच्चों को रखा जा सकेगा। बच्चा अस्पताल के प्रभारी डॉ. आरके सोनी ने बताया कि मेडिसिन पीडिया में बेड कम पड़ते हैं। सर्जरी विंग का वार्ड तैयार होने पर वहां बच्चों को भर्ती किया जा सकेगा। त्यौहार और शादी का सीजन होने के कारण लेबर छुट्टी पर चली गई है। ठेकेदार से कहा है कि काम जल्दी पूरा करे। गौरतलब है कि पिछले दिनों संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी ने बच्चा अस्पताल का निरीक्षण किया था। उन्होंने वार्डों में एक बेड पर दो-दो बच्चों को लेटे देखा तो हैरान हुई। व्यवस्था की जानकारी लेने के बाद सर्जरी विंग के बंद सभी कक्षों की मरम्मत कराने के निर्देश दिए थे।
आईसीयू शुरू, पर स्टाफ की समस्या
छत से पानी गिरने की समस्या
बच्चा अस्पताल में पिछले एक-दो साल में हुए निर्माण कार्यों के बाद कई स्थानों पर छत और दीवारों में सीलन और पानी टपकने की समस्या आ रही है। कर्मचारियों ने बताया कि बारिश होने पर पहले भी पानी गिरता था। इस बार भी मानसून में गिरेगा। मरम्मत का काम ठीक से नहीं हुआ। कुछ वार्डों में भी यह समस्या है। इसके अलावा परिसर में गंदगी का आलम है। सफाई नहीं हो पा रही है। मेडिकल वेस्ट भी खुले में ही फेंका जा रहा है।
बच्चा अस्पताल का आईसीयू तो शुरू कर दिया, लेकिन वहां स्टाफ को लेकर समस्या बनी हुई है। पीबीएम अधीक्षक ने अलग- अलग विंग से कुछ नर्सिंग कर्मचारियों को वहां लगाया था, जिसमें एक-दो ने ही जॉइन किया। कुछ ने ऑर्डर कैंसिल करवा लिए। कुछ जॉइन नहीं करना चाह रहे। बच्चा अस्पताल में पहले से विभिन्न स्थानों पर कार्यरत नर्सिंग कर्मियों को आईसीयू में व्यवस्थार्थ लगाया गया है। यह आईसीयू निर्माण के बाद से ही बंद पड़ा था। इसके बाहर छत से पानी टपकता था। संभागीय आयुक्त ने निरीक्षण के दौरान आईसीयू को चालू करने के निर्देश दिए थे। अब पीबीएम प्रशासन को स्टाफ जुटाने में पसीने आ रहे हैं।
• बच्चा अस्पताल के आउटडोर में इन दिनों 400 से 500 मरीज आ रहे हैं। अगले महीने से गर्मी तेज होने पर लू और तापघात से पीड़ित बच्चों की संख्या भी बढ़ेगी। उसे देखते हुए पुरानी सर्जरी विंग के कक्ष तैयार कराए जा रहे हैं। वहां रखे 40 बेड का उपयोग किया जाएगा। डॉ. आरके सोनी, प्रोफेसर, पीडियाट्रिक