जयपुर| प्रदेश के 16वें सीएम के रूप में शुक्रवार को भजनलाल शर्मा ने शपथ ग्रहण की। दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा ने डिप्टी सीएम की शपथ ली। फिर पदभार संभाल लिया। कुछ घंटे बाद नई सरकार ने फैसला किया- पेपरलीक की जांच के लिए एसआईटी बनेगी। अपराध, महिला अत्याचार, भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होंगे। संगठित अपराध खत्म करने को एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स बनेगी। भविष्य में पेपरलीक न हों, यह सुनिश्चित किया जाएगा। पेपरलीक करने वालों को सजा दिलाई जाएगी। कानून-व्यवस्था सुधारना, भ्रष्टाचार मिटाना और महिला सुरक्षा राज्य सरकार की प्राथमिकता रहेगी।
सीएम शर्मा ने कहा, घोषणा पत्र पर काम करते हुए वे मुद्दे हल करेंगे, जिनसे जनता त्रस्त थी। यूपी को तर्ज पर अपराधियों के ठिकानों पर बुलडोजर जैसी कार्रवाई करने के भी संकेत दिए। कहा, सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा चाक-चौबंद होनी चाहिए। असामाजिक एवं आपराधिक तत्वों को चिह्नित कर कठोर कार्रवाई करेंगे। पिछले 5 साल में प्रदेश में कई गैंग- गैंगस्टर पनपे हैं। अब एडीजीपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स बनेगी। भ्रष्टाचार के प्रति जोरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी।
शुक्रवार को रामनिवास बाग में एक अलग बयार बह रही थी। बाग का हर कोना दूर-दराज से आए राजस्थानियों से अटा था। फिर भी नई कॉपले खिलती नजर आ रही थीं। अल्बर्ट हॉल के सामने तीन मंच सजे थे। मंच इतने बड़े थे कि मिस्टर अल्वर्ट कम नजर आ रहे थे। एक मंच पूरी तरह साधु-संतों की उपस्थिति से अनुग्रहीत था। मेरे पास बैठे एक कार्यकर्ता ने कहा- ‘अब पांच साल संस्कृति पर जोर रहेगा।’ रामनिवास बाग में यह एक कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री बने भजनलाल शर्मा का शपथ ग्रहण समारोह था। तीन मंच तीन संदेश दे रहे थे। शपथ का मंच- हम परिवर्तनशील हैं। संतों का मंच- हम हमारा मूल थामे रहेंगे। क्षत्रपों का मंच- हम अपनी ताकत बढ़ाते रहेंगे। लोकसभा चुनाव से पहले तीन राज्यों की आत्मविश्वास बढ़ाने वाली जीत में जयपुर का यह शपथ स्थल आखिरी पड़ाव था। पार्टी का प्रयास, संकेत-संदेश ऐसे हों जो 2024 तक लोगों की याददाश्त में बने रहें। भजनलाल शमां परिवर्तनशीलता और निरंतरता बनाए रखने को भाजपा की नीति का सबसे सार्थक चेहरा हैं। फिर आज तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी उनके सिर पर हाथ रख कर बदलाव को मौन समर्थन दे दिया है। शपथ लेकर लौटते हुए जब भजनलाल प्रधानमंत्री से साक्षात हुए तो एक पल के लिए लगा कि उनको भावुक आंखें मोदी को कह रही हों, एक साधारण कार्यकतों पर इतना भरोसा ? मुस्कुराते मोदी भी भजनलाल के जुड़े हाथ थाम कर मानो कह रहे हों, यह सिर्फ
एक भजनलाल का चयन नहीं, पार्टी के काम के लिए परिवार तक से दूर रहना स्वीकार कर लेने वाले लाखों कार्यकर्ताओं की कर्मठता का सम्मान है। शपथ पश्चात अपनी पोस्ट में मोदी ने यह बात लिख भी दी वर्षों तक समर्पित पार्टी कार्यकर्ता, पूरे राज्य में भाजपा को मजबूत करने के अभूतपूर्व प्रयास करने वाले भजनलालजी जरूर जनता की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे। शपथ के बाद मोदी भजनलाल की पीठ पर थपकी देते हुए निकले। उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी से लंबी बातचीत की, दूसरे उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को शुभकामनाएं दीं। संतों को झुक कर प्रणाम किया। इस संत समूह में जगदुरु रामभद्राचार्यजी भी थे जिनके प्रति मोदी खास श्रद्धा रखते हैं। संतों के मंच पर भी फोटो
और सेल्फी की मोह-माया चल रही थी। नीचे वीआईपी दीर्घा के पीछे से शुरू होकर न्यू गेट तक जो जन सैलाब था वहां चल रहा था- ‘तेरी झोंपड़ी के भाग खुल जाएंगे, राम आएंगे।’ कार्यकताओं में से एक ने तभी कहा अब जोर संस्कृति पर रहेगा। दूसरे ने कहा- धार्मिक स्थलों के लाउड स्पीकर बंद हो जाएंगे, खुले में नॉन वेज मिलना बंद हो जाएगा। क्या बदलेगा और क्या बदलना चाहिए, यह अगले दिनों में पता चलना शुरू हो जाएगा लेकिन मंच के सामने जमे मीडिया के लोग तो यह पता लगाना चाह रहे थे कि तीसरे मंच का सिटिंग अरेंजमेंट किस प्रोटोकॉल के तहत किया गया है? वसुंधरा राजे, गजेन्द्र सिंह और अशोक गहलोत को एक साथ बैठाने का आइडिया
किसका है, या फिर यह सिर्फ संयोग ही था? हम सभी जानते हैं कि आरोप लगे थे कि गजेन्द्र को वसुंधरा ने प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनने दिया। गहलोत ने गजेन्द्र के खिलाफ संजीवनी मामले में लगातार अपनी एजेंसियों को सक्रिय रखा, निकम्मा जैसे शब्दों से संबोधित किया। दो दिन पहले दिल्ली की अदालत ने गहलोत के खिलाफ मानहानि केस में ट्रायल की अनुमति दी है। इस सबके बावजूद मंच पर ये तीनों नेता एक-दूसरे का मान-सम्मान कर रहे थे। इस मंच पर एनडीए नीत सरकारों के मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री बैठे थे। लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए की ताकत का प्रदर्शन था यह तीसरा मंच। ‘इंडिया’ ने देख ही लिया होगा। भजनलाल सरकार में कौनसे
प्रशांसनिक अधिकारी सत्ता का क्रियान्वयन करेंगे इस बात में सबकी रुच्चि है। शपथ ग्रहण समारोह में सभी अफसर पंक्तिबद्ध बैठे थे। गहलोत सरकार की मुख्य सचिव उषा शर्मा जिनके दायित्व विस्तार के खिलाफ भाजपा चुनाव आयोग में गई थी, वही मंच पर शपथ की कार्रवाई को अंजाम दे रही थीं। आम और खास के इस जलसे में भजनलाल का परिवार कुर्सियां खाली हो जाने के बाद भी बैठा था। सुरक्षा से घिरा। भजनलाल का डॉक्टर बेटा कुणाल लोगों के अभिवादन का जवाब हाथ जोड़ कर दे रहा था। राजस्थान के गौरवमयी इतिहास में एक सुनहरा पत्रा जुड़ गया है। पन्ने पर किरदार है खुरदरी मध्यमवर्गीय जिंदगी जीते हुए मुख्यमंत्री के मंच तक पहुंचा एक साधारण राजस्थानी।
….